आज 29 मार्च 2025 तारीख को रात्रि 9 बज कर 38 मिनट पर मीन राशि में शनि प्रवेश करेंगे और रात्रि 12:02 मिनट पर पूर्व दिशा में शनि उदय होंगे।



क्या है शस्त्रों का मत ?
शास्त्रों के मत अनुसार शनि कर्म फल प्रदाता है। यदि आपने अच्छे कर्म किए है तो अच्छा फल देंगे। और यदि आपने पाप कर्म किए अथवा बुरे कार्य किए है तो दण्ड देंगे। शनि देव ही केवल ऐसे देवता है जो सिर्फ प्राणी को देते ही है।
सूर्यपुत्र शनिदेव बड़े-बड़े नेत्रों वाले और विशाल शरीर वाले शनि की साढ़े साती सभी के जीवन में अपना प्रभाव दिखाती है। शास्त्रों के मतानुसार शनि बलवान हो, उच्च का हो तो जातक ग्राम, देश या सभा का अधिपत्य प्राप्त करता है। उसे अनेक प्रकार से आनंद प्राप्त होता है। किंतु पिता की मृत्यु एवं बन्धुजनों से वैमनस्य होता है। यदि शनि पीड़ित हो, निर्बल हो या नीच हो तो देश परिवर्तन, चिंता, व्यवसाय परिवर्तन, धन की हानि तथा राजा का विरोध अर्थात कोर्ट कचेहरी आदि के मामले बढ़ते है, जेल जाना पड़ता है,नौकरी या किसी की अधीनता करनी पड़ती है ।
शनि यदि शुभ है तो जातक गूढ़ विषयों की जड़ तक जाने का प्रयत्न करता है। परोपकारी, मिलनसार, राष्ट्रीय योगी, अनासक्त होता है। अपमान जनक स्थिति में दीर्घकाल तक न रह कर स्वाभिमान की स्थिति में दो दिन में मरना अच्छा समझता है।

शनि देव व्यक्ति को कुछ कष्ट दे कर माता पिता, भाई, बहिन, पति, पत्नी, मित्र, परिचित, रिश्तेदार, संतान आदि का असली चेहरा सामने लाते है।
शनि अशुभ नहीं है वह तो अपने पिता सूर्य देव की तरह किंचित निर्मम क्रूर उपकारी ग्रह है। जीव प्रायः लोभ, मोह, व सुख लिप्सा के फेर में पड़कर अनजाने ही पाप कर्म कर बैठता है। अनेक दुष्कर्म तो भयावह होते हैं कि जीव को सैकड़ों वर्ष तक दुःसह नरक यातना भोगनी पड़े। शनि, आत्मा पर पड़े कलुषता के आवरण को हटाने व सुख सामिग्री की निस्सारता बतलाने के लिए आता है। ये धन वैभव को नष्ट कर जातक के मन में ज्ञान व वैराग्य की ज्योति जलाता है। इसे छलकपट, राग द्वेष से मानो घृणा हैं। ये तो सत्य समता तथा न्याय का पक्ष धर है।
अतः जिन लोगों की महादशा, साढ़े साती, ढैया शुरू हो रही है तो वे पाप कर्मो से बचें, धर्म के मार्ग पर चलें, भ्रष्टाचार, बलात्कार, मिलावटखोरी,अत्याचार, पापाचार आदि से बचें। वृद्ध, असहाय व दीन जनों की सेवा सहायता और श्री हनुमान जी की आराधना से दुःख मिटता है।
शनि की साढ़े साती जानने के लिए जातक की जन्म राशि से शनि के गोचर को देखा जाता है। गोचर में जब शनि जन्म राशि से 12 वें स्थान पर आता है तो शनि की साढ़े साती प्रारंभ होती है। शनि एक राशि पर लगभग ढाई वर्ष ( 2.5 ) रहता है। ढाई वर्ष बारहवें स्थान पर, ढाई वर्ष जन्म राशि पर तथा ढाई वर्ष चन्द्र राशि से दूसरे स्थान पर रहता है। यह साढ़े सात साल शनि की साढ़े साती कहलाती है।
इन राशियों पर होगा प्रभाव –
वर्तमान समय में मकर राशि वालों की साढ़े साती चल रही है। उनकी साढ़े साती समाप्त हो जाएगी।
कुम्भ राशि वालों की साढ़े साती चल रही है। उनकी तीसरी ढैया प्रारंभ होगी।
मीन राशि वालों की साढ़े साती चल रही है। उनकी दूसरी ढैया प्रारंभ होगी।
मेष राशि वालों की साढ़े साती प्रारंभ होगी।
कर्क राशि वालों की अष्टम स्थान की ढैया चल रही है वो समाप्त हो जाएगी।
वृश्चिक राशि वालों की चतुर्थ स्थान की ढैया चल रही है। वो समाप्त हो जाएगी।
धनु राशि वालों की चतुर्थ स्थान की ढैया प्रारंभ होगी।
सिंह राशि वालों की अष्टम स्थान की ढैया प्रारंभ होगी।
शनि की साढ़े साती मेष, कुम्भ, मीन राशि वाले जातकों के लिए कैसी रहेगी।
इसे जन्म राशि के अनुसार समझें।
मेष: राशि वालों के लिए पहली ढैया सम – दूसरी ढैया अशुभ – तीसरी ढैया शुभ रहेगी।
कुम्भ: राशि वालों की तीसरी ढैया सम रहेगी।
मीन: राशि वालों की दूसरी ढैया सम रहेगी।
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