एक काली रात –

Emergency

साल 1975 में 25 और 26 जून की दरम्यानी रात तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी, यह आपातकाल 21 महीने चला और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ – साथ दे गया देश में ऐसी कहानियाँ जो भुलाई नहीं जा सकती |

आज इस आपातकाल को 50 साल पूरे हो गए। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया है । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कांग्रेस को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि आज भारतीय लोकतंत्र की रक्षा का दावा करने वालों ने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठाई गई आवाजों को दबाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। भाजपा ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र में एक काला अध्याय बताया है।

आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है। उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था।

आपातकाल प्रस्तावना तब लिखी गई जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उस वर्ष 12 जून को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव को अमान्य घोषित किया।

आपातकाल


तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधीके खिलाफ चुनाव याचिका समाजवादी नेता राज नारायण ने दायर की थी, जो रायबरेली से चुनाव हार गए थे। नारायण ने आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी के चुनाव एजेंट यशपाल कपूर एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्होंने अपने चुनावी कार्य के लिए सरकारी अधिकारियों का इस्तेमाल किया।

लेखक ज्ञान प्रकाश ने अपनी पुस्तक ‘इमरजेंसी क्रोनिकल्स : इंदिरा गांधी एंड डेमोक्रेसीज टर्निंग प्वाइंट’ में भारतीय लोकतंत्र पर लगे कलंक के रूप में याद की जाने वाली घटनाओं का विस्तृत उल्लेख करते हुए बताया है कि हाई कोर्ट के फैसले में इंदिरा गांधी को चुनावी अनियमितताओं का दोषी पाया गया। इससे इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ सार्वजनिक असंतोष बढ़ गया।
यह असंतोष अत्यधिक महंगाई, आवश्यक वस्तुओं की कमी और जड़ अर्थव्यवस्था के कारण था, जो 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के प्रभाव से जूझ रही थी। गुजरात में चिमनभाई पटेल के खिलाफ नवनिर्माण आंदोलन और बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में युवाओं का आंदोलन तेज हो गया। इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की और 24 जून, 1975 को सुप्रीम कोर्ट से शर्तों के साथ राहत प्राप्त की। इसके तहत उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज जारी रखने की अनुमति तो मिली, लेकिन उनसे संसद में मतदान का अधिकार छिन गया।

क्या क्या घटा देश में आपातकाल के दौरान

आपातकाल की घोषणा से स्वतंत्रता समेत सभी मौलिक अधिकारों, सभा के अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। प्रेस पर पूरे तौर पर सेंसरशिप लागू की गई। न्यायपालिका की कार्यकारी कार्रवाई की समीक्षा की शक्ति को भी सीमित कर दिया गया। सभी लोकतांत्रिक परंपराओं का हनन करते हुए जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी समेत विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी का आदेश दिया।
संजय गांधी के कुख्यात नसबंदी अभियान, जिसके तहत जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लाखों पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई |



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