सार्वजिनक संपति पर अपना अधिकार है – मगर सुविधा और उपयोग तक के लिए मगर एसी कोच के यात्री इसके उलट साल भर में लगभग 30 लाख की चादर और टॉवल अपने साथ चुरा कर ले जाते है, जिसका खामियाजा एसी कोच के अटेंडेंट को अपने वेतन से भरना पड़ता है |



एसी कोच में यात्री को सुविधा के लिए दो चादर – एक कम्बल – एक टॉवल और एक तकिया दिया जाता है, कोच में गिनती कर के ये सब सामान दिया जाता है और यात्रा समाप्त होने पर गिनती कर के वापस भी लिया जाता है, वहीँ अगर वापसी के समय गिनती में कुछ भी कम हुआ तो रेलवे – ठेका एजेंसी पर तय दर से जुर्माना लगता है जिसे कोच अटेंडेंट के वेतन से काटा जाता है |

सुविधा पाने के के साथ ही नैतिक जिम्मेदारी भी लेनी होगी
अगर अटेंडेंट कुछ भी कमी करे तो हम यात्री उस पर शिकायत का दवाब डालते है, शिकायत होने पर 2000 का जुर्माना कोच अटेंडेंट को देना होता है, अब न दे तो जुर्माना और देदें और यदि चोरी हुआ तो जुर्माना,
हम यात्रियों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि सभी सामान कोच अटेंडेंट को सही स्तिथि और पूरी गिनती में मिले, अगर यात्करियों ने अपना स्हींवभाव ना बदला तो कहीं ऐसा न हो जाये की एसी कोच में मिलने वाली यह सुविधा बंद करनी पड जाये |
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