बसंत पंचमी पर जहां विद्या की देवी सरस्वती की पूजन करने की परंपरा है, वहीं इस दिन से छत्तीसगढ़ में होली पर्व की तैयारी भी शुरू हो जाती है। जिस जगह पर होलिका दहन करना होता है वहां अंडा पेड़ गाड़कर यह संदेश दिया जाता है कि होली करीब है और अंडा पेड़ वाली जगह पर ही होली जलाई जाएगी।



पिछले कुछ सालों में बसंत पंचमी पर अंडा पेड़ गाड़ने की परंपरा लुप्त होने लगी है. पहले अनेक जगहों पर बच्चे अंडा पेड़ की तलाश कर उसे गाड़ने की परंपरा निभाते नजर आते थे पर अब एकाध जगह ही यह परंपरा निभाई जाती है। ज्यादातर जगहों पर बिना अंडा पेड़ गाड़े लकड़ियां एकत्रित कर होली जलाई जाती है।
इसे ‘डाड़ गाड़ना’ भी कहा जाता है। जिन जगहों पर किसी कारणवश बसंत पंचमी के दिन यह परंपरा पूरी नहीं हो पाती वहां पर होलिका दहन से एक दिन पहले अवश्य अरंड पेड़ गाड़कर वहीं पर लकड़ियां एकत्रित की जाती है।
विधिवत पूजा-अर्चना करके होलिका दहन स्थल पर गाड़ते थे अंडा पेड़

बसंत पंचमी के दिन बच्चे, युवा शहर के बाहरी इलाकों से अंडा पेड़ खोजकर लाते थे और विधिवत पूजा-अर्चना करके होलिका दहन स्थल पर गाड़ते थे। इसके पश्चात होली तक प्रतिदिन किसी न किसी घर से लकड़ी लाकर एकत्रित किया जाता था. मगर अब ज्यादातर बच्चे घर में टीवी देखने में व्यस्त रहते हैं। इससे उन्हें पता ही नहीं कि अंडा पेड़ क्या होता है।
रोग नाशक होता है अंडा पेड़पं.मनोज शुक्ला बताते हैं कि बसंत पंचमी पर अंडा पेड़ इसलिए गाड़ा जाता है क्योंकि वह रोगनाशक पेड़ है। जड़ से लेकर तना, छाल, पत्ते व फल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है। ऋतु परिवर्तन पर कीटाणुओं के कारण अनेक बीमारियां फैलने का खतरा होता है। अंडा पेड़ के आसपास कीटाणु नहीं फटकते, संभवतः इसीलिए बसंत पंचमी पर अंडा पेड़ की पूजा कर उसे गाड़ा जाता है ताकि छोटी-मोटी बीमारियां पास न फटके और होलिका दहन पर भी पूजा कर रोग मुक्त होने की कामना की जाती है।
मंदिर में सैकड़ों साल से यह परंपरा निभाई जा रही है
राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में स्थित महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि मंदिर में सैकड़ों साल से यह परंपरा निभाई जा रही है। मां महामाया, मां सरस्वती, मां काली की विद्वान पंडितों के सानिध्य में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद अरंड पेड़ को गाड़कर पेड़ की भी पूजा करने की परंपरा निभाई जा रही है। 40 दिनों तक इसी जगह पर मोहल्ले के बच्चे, युवा लकड़ियां एकत्रित करके रखते हैं और होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है।
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