पंडित डॉ दत्त्तात्रेय होस्केरे के अनुसार :-
काल सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति Mahashivratri 2025

यदि आप की कुंडली में काल सर्प दोष के लक्षण हैं तो शिवरात्रि के दिन प्रात:, मध्यान्ह और सायंकाल पूजन करें और इस क्रिया को प्रत्येक सोमवार को करें। भगवान शंकर की पांच मंत्रों से पंचोपचार विधि पूर्वक सफेद चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढाते हुए पूजा करते हैं तो वह काल सर्प दोष से मुक्त हो जाता है हो जाता है। ये मंत्र हैं :
ॐसद्योजाताय नम:।ॐवामदेवाय नम: ।ॐअघोराय नम: ।ॐईशानाय नम: ।ॐतत्पुरुषाय नम:।



12 तरह के पुष्प शिव जी को हैं अत्यंत प्रिय Mahashivratri 2025

शिव जी की प्रसन्नता के लिए शिव पूजा के विशेष उपायों में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा शिव को विशेष फूल अर्पित करने का भी महत्व बताया गया है। शिव जी को अर्पित किये जाने वाले 12 तरह के पुष्प :
मन्दार ,मालती, धतूरा , सिंदुवार ,अशोक , मल्लिका , कुब्जक ,पाटल ,आंकड़े ,कदम्ब, लाल और नीला रंग का कमल, कनेर।
शिवरात्रि के दिन करें वास्तु शान्ति Mahashivratri 2025

शिवपुराण में लिखा है कि देवाधिदेव महादेव की जिन अष्ट मूर्तियों से यह अखिल ब्रह्माण्ड व्याप्त है, उन्हीं से सम्पूर्ण विश्व की सत्ता संचालित हो रही है। भगवान शिव की इन अष्ट मूर्तियों को इन आठ मन्त्रों से पुष्पांजलि दें। आपके घर के समस्त वास्तु दोषों का शमन होगा। अपने घर के पूर्व क्षेत्र से प्रारम्भ कर सभी आठ दिशाओं में मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प और जल अप्रित करें: 1.ऊँ शर्वाय क्षिति मूर्त्तये नम:। 2. ऊँ भवाय जलमूर्त्तये नम:। 3. ऊँ रुद्राय अग्नि मूर्त्तये नम:। 4. ऊँ उग्राय वायु मूर्त्तये नम:। 5. ऊँ भीमाय आकाश मूर्त्तये नम:। 6. ऊँ पशुपतये यजमान मूर्त्तये नम:। 7. ऊँ महादेवाय सोममूर्त्तये नम:। 8. ऊँ ईशानाय सूर्य मूर्त्तये नम:।
शिव पूजन से शनिदेव भी होते हैं प्रसन्न Mahashivratri 2025

संस्कृत शब्द शनि का अर्थ जीवन या जल और शनि का अर्थ आसमानी बिजली या आग है। शनि की पूजा के वैदिक मन्त्र में वास्तव में गैस, द्रव और ठोस रूप में जल की तीनों अवस्थाओं की अनुकूलता की ही प्रार्थना है। खुद मूल रूप में जल होने से शनि का मानवीकरण पुराणों में शिवपुत्र या शिवदास के रूप में किया गया है। इसीलिए कहा जाता है कि शिव और शनि दोनों ही प्रसन्न हों तो जीवन एकदम सुखमय हो जाता है। सूर्य को जीवन का आधार, सृष्टि स्थिति का मूल, वर्षा का कारण होने से पुराणों में खुद शिव या विष्णु का रूप माना गया है। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि शिव के पूजन से सूर्य और शनि दोनो ही प्रसन्न होतें हैं।
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