- कुमार विकेश
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और तकनीकी प्रगति ने बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। शहरीकरण और आधुनिक मनोरंजन साधनों, जैसे मॉल, सिनेमा हॉल, और गेमिंग जोन ने बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बनकर उन्हें प्रकृति से दूर कर दिया है। हालांकि, मौजूदा स्थिति में बच्चों को मॉल की बजाय प्राकृतिक स्थलों और पर्यटक स्थानों की ओर ले जाना न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह उन्हें एक संतुलित जीवन की ओर भी अग्रसर करता है।



बच्चों और प्रकृति का संबंध
बच्चों का विकास और प्रकृति का रिश्ता एक-दूसरे से गहरे जुड़े हैं। बच्चे जब प्राकृतिक वातावरण में समय बिताते हैं, तो वे केवल ताज़ी हवा और खुले स्थानों का आनंद ही नहीं लेते, बल्कि प्रकृति के नियमों, विविधता और उसकी सुंदरता को भी समझने का मौका मिलता है। जंगल, नदी, झरने, पहाड़ जैसे स्थलों पर बच्चों का शारीरिक विकास तो होता ही है, साथ ही उनका मानसिक विकास भी तेज़ होता है।
डिजिटल युग में सीमित होता बचपन
आज के डिजिटल युग में, अधिकांश बच्चे घंटों तक स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। वीडियो गेम्स, टीवी शोज़, और स्मार्टफोन ने उनके खेलने-कूदने के समय को कम कर दिया है। इससे न केवल उनकी आँखों और मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी बाधाएं उत्पन्न होती हैं। मॉल जैसी जगहों पर, जहां मनोरंजन सीमित और कृत्रिम होता है, बच्चों के अनुभव सीमित रह जाते हैं।
प्रकृति के समीप समय बिताने के लाभ
शारीरिक स्वास्थ्य : प्राकृतिक स्थलों पर बच्चों को खुली हवा में दौड़ने, खेलने, और अन्वेषण करने का मौका मिलता है। यह शारीरिक रूप से उन्हें स्वस्थ रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
मानसिक शांति : प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने से बच्चों को मानसिक तनाव और चिंता से राहत मिलती है। हरे-भरे स्थानों में उनका मस्तिष्क अधिक सक्रिय और सकारात्मक होता है।
रचनात्मकता और जिज्ञासा : प्रकृति के विभिन्न रूपों को देखने और अनुभव करने से बच्चों में जिज्ञासा और रचनात्मकता बढ़ती है। वे नई चीजों को जानने और समझने की कोशिश करते हैं, जो उनके बौद्धिक विकास में सहायक होता है।
सामाजिक और भावनात्मक विकास : प्राकृतिक स्थलों पर परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताने से बच्चों में सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। वे एक-दूसरे के साथ मिलकर खेलते और समस्याओं को सुलझाते हैं, जिससे उनका भावनात्मक संतुलन भी बेहतर होता है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता
बच्चों को प्रकृति के समीप ले जाना उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने का भी सबसे बेहतर तरीका है। जब वे पेड़-पौधों, जानवरों और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझेंगे, तभी वे बड़े होकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देंगे।
निष्कर्ष
आज के समय में बच्चों को मॉल की बजाए पर्यटक स्थलों और प्रकृति के नजदीक ले जाना बेहद जरूरी हो गया है। यह न केवल उनके विकास के लिए लाभकारी है, बल्कि यह उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों, जैसे प्रकृति का सम्मान, सहनशीलता, और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है।
माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को प्रकृति की ओर ले जाएं और उनके जीवन में प्रकृति के महत्व को समझाएं। बच्चों का बचपन तभी सार्थक होगा जब वे केवल डिजिटल और शहरी जीवन तक सीमित न रहें, बल्कि प्रकृति के बीच रहकर अपनी जड़ों से जुड़ें।
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