आज का पंचांग – ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनिल तिवारी जी द्वारा – 14 जुलाई 2025, सोमवार



पंचांग :-
तिथि———— चतुर्थी 23:59:03. तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र———— धनिष्ठा 06:47:56
योग—‐—– आयुष्मान 16:12:38
करण—————बव 12:32:49
करण———– बालव 23:59:03
वार———————— सोमवार
माह————————- श्रावण
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि—————— मिथुन
ऋतु————————— वर्षा
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर——————- विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)————– सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————— 5126
सूर्योदय – सूर्यास्त :-
सूर्योदय—————- 05:34:22
सूर्यास्त—————– 19:15:40
दिन काल————– 13:41:17
रात्री काल————– 10:19:11
चंद्रास्त—————– 08:42:15
चंद्रोदय—————– 21:52:00
लग्न – नक्षत्र :-
लग्न—- मिथुन 27°37′ , 87°37′
सूर्य नक्षत्र——————- पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

शुभ – अशुभ मुहूर्त :-
राहू काल 07:17 – 08:59 अशुभ
यम घंटा 10:42 – 12:25 अशुभ
गुली काल 14:08 – 15:50 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:47 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:37 – 16:31 अशुभ
वर्ज्यम 13:55 – 15:30 अशुभ
प्रदोष 19:16 – 21:21 शुभ
पंचक अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन :-
अमृत 05:34 – 07:17 शुभ
काल 07:17 – 08:59 अशुभ
शुभ 08:59 – 10:42 शुभ
रोग 10:42 – 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 – 14:08 अशुभ
चर 14:08 – 15:50 शुभ
लाभ 15:50 – 17:33 शुभ
अमृत 17:33 – 19:16 शुभ
चोघडिया रात :-
चर 19:16 – 20:33 शुभ
रोग 20:33 – 21:50 अशुभ
काल 21:50 – 23:08 अशुभ
लाभ 23:08 – 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* – 25:43* अशुभ
शुभ 25:43* – 27:00* शुभ
अमृत 27:00* – 28:17* शुभ
चर 28:17* – 29:35* शुभ
होरा, दिन :-
चन्द्र 05:34 – 06:43
शनि 06:43 – 07:51
बृहस्पति 07:51 – 08:59
मंगल 08:59 – 10:08
सूर्य 10:08 – 11:17
शुक्र 11:17 – 12:25
बुध 12:25 – 13:33
चन्द्र 13:33 – 14:42
शनि 14:42 – 15:50
बृहस्पति 15:50 – 16:59
मंगल 16:59 – 18:07
सूर्य 18:07 – 19:16
होरा, रात :-
शुक्र 19:16 – 20:07
बुध 20:07 – 20:59
चन्द्र 20:59 – 21:50
शनि 21:50 – 22:42
बृहस्पति 22:42 – 23:34
मंगल 23:34 – 24:25
सूर्य 24:25* – 25:17
शुक्र 25:17* – 26:08
बुध 26:08* – 27:00
चन्द्र 27:00* – 27:52
शनि 27:52* – 28:43
बृहस्पति 28:43* – 29:35
उदयलग्न प्रवेशकाल :-
मिथुन > 03:30 से 05:40 तक
कर्क > 05:40 से 08:00 तक
सिंह > 08:00 से 10:20 तक
कन्या > 10:20 से 12:34 तक
तुला > 12:34 से 14:54 तक
वृश्चिक > 14:54 से 17:14 तक
धनु > 17:14 से 19:28 तक
मकर > 19:28 से 21:06 तक
कुम्भ > 21:06 से 22:26 तक
मीन > 22:26 से 23:46 तक
मेष > 23:46 से 01:42 तक
वृषभ > 01:42 से 03:32 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय) संस्कार (लगभग-वास्तविक समय के समीप) :-
दिल्ली +10 मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54 मिनट—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल :-
पूर्व
परिहार :- आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान :-
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 4 + 2 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
ग्रह मुख आहुति ज्ञान :-
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल :-
19 + 19 + 5 = 43 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल :-
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दिन – विशेष :-
श्रावण प्रथम सोमवार
चतुर्थी व्रत चंद्रोदय 21:54
शुभ विचार :-
रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः ।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इवकिशुकाः ।।
।।चाo नीo।।
रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.
सुभाषितानि :-
गीता -: मोक्षसंन्यासयोग:- अo-18
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे॥
हे अर्जुन! तू मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझसे सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय है
॥65॥
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