राजिम कुंभ कल्प 2025 : महाकुम्भ के बाद अब “छत्तीसगढ़ के प्रयाग” में लगेगी आस्था की भीड़

भारत देश से लेकर विदेश तक प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में डुबकी लगाने को लेकर होड़ मची हुई है. साधु-संत से लेकर आम मानस गरीब-अमीर सारे भेदभाव भूलकर पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं. एक तरफ प्रयागराज में महाकुम्भ चल रहा है, वहीँ छत्तीसगढ़ की पावन धरा और “छत्तीसगढ़ का प्रयाग” राजिम के त्रिवेणी संगम में भी माघ पूर्णिमा के अवसर पर राजिम कुंभ कल्प 2025 का आयोजन होने वाला है. जो लोग प्रयागराज किन्हीं कारणों से नहीं जा पाए हैं वो इस कुंभ का इंतजार कर रहे हैं.

इस आयोजन को लेकर पूरे प्रदेश के भक्तगण और आध्यात्म में विश्वास रखने वाले तहेंदिल से इंतजार कर रहे हैं, वहीँ प्रशासन की भी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. राजिम कुंभ कल्प 2025 मेले में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है, जिसकी वजह से यहां भक्तों की भीड़ भी दिखाई देती है. करीब 15 दिन चलने वाले इस मेले में सारे भक्त, भक्ती में पूरी तरह से लीन हो जाते हैं.


राजिम कुंभ कल्प 2025

राजिम कुंभ कल्प 2025 मेला माघ महीने की पूर्णिमा से लगता है. माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाले राजिम कुंभ मेले का विशेष महत्व है. ये मेला भारत के आदिवासियों के लिए बहुत अहम माना जाता है.


त्रिवेणी संगम

यह मेला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किमी की दूरी पर महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम तट पर राजिम नगर के नदी तट पर लगता है. 12 फरवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस मेले में यहां स्थित पावन त्रिवेणी संगम में स्नान करने जरूर आएं.


अखाड़े और शाही जुलूस

इस मेले में प्रयागराज आयोजित महाकुंभ जैसा नजारा देने को मिलेगा. यहां दर्जनों से ज्यादा अखाड़ों के साथ शाही जुलूस और नागा- साधुओं का दरबार भी लगता हैं.


महाशिवरात्रि और शाही स्नान

26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन, साधु-संतों की भव्य शोभायात्रा निकलने वाली है. शोभायात्रा के बाद सभी साधु-संत शंखनाद और मंत्रोच्चारण के साथ संगम में डुबकी लगाकर शाही स्नान संपन्न करेंगे जिसके बाद आम जनता को भी शाही स्नान करने की अनुमती होगी.


कुलेश्वर महादेव मंदिर

संगम स्थान के पास कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी है. इस मंदिर के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं. शाम के समय आयोजित गंगा आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है, गंगा आरती के साथ आसपास का नजारा मन को शांति देती है.


सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी

इस मेले की खासियत है यहां पर आयोजित हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम, जहा स्थानीय लोकल कलाकार लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं. इसके साथ ही स्थानीय कारीगरों द्वारा बनी मूर्तियां, धार्मिक वस्तुएं और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा की प्रदर्शनी भी लगती है.



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