लोकसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, पक्ष में 288 तो विपक्ष में 232 वोट पड़े, अब आयेगें ये बदलाव

वक्फ

देश में आज एक अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ, केंद्र की मोदी सरकार ने आज संसद की लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया
इस बिल पर सुबह से लम्बी बहस चल रही थी और अंत में तारीख बदलने के बाद देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर यह बिल पास हो गया |

संशोधन बिल के पक्ष में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग में 226 तो विपक्ष में 163 वोट पड़े वहीँ 1 अनुपस्थित रहे कुल 390 वोट पड़े, जो अपने आप में चौकाने वाले थे इसलिए दुबारा इसमें शुद्धि हुई और निर्णय हुआ

इस बिल के पास होने से वक्फ कानून में ये बड़े बदलाव होंगे

  • गैर-मुस्लिमों को बोर्ड के सदस्यों के रूप में शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा. कानून लागू होने के छह महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय डेटाबेस पर पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है. हालांकि, यह वक्फ ट्रिब्यूनल को कुछ परिस्थितियों में समय-सीमा बढ़ाने का अधिकार देता है. विवाद की स्थिति में राज्य सरकार के अधिकारी को यह निर्धारित करने का अधिकार होगा कि संपत्ति वक्फ है या सरकार की.
  • संशोधन विधेयक के मुताबिक, अब दान में मिली संपत्ति ही वक्फ की होगी. वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं के साथ दूसरे धर्म से जुड़े दो लोग शामिल हो सकेंगे. जमीन पर दावा करने वाला अपील कर सकेगा. ट्रिब्यूनल, रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा. सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी. ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी
  • इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति उसी जमीन को दान में दे पाएगा, जो उसके नाम पर रजिस्टर्ड होगी. अगर कोई व्यक्ति किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को दान में देता है तो इसे गैर-कानूनी माना जाएगा. वक्फ भी ऐसी संपत्तियों पर अपना दावा नहीं कर पाएगा. ‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा. इसका मतलब ये है कि जिस परिवार ने वक्फ की जमीन ‘वक्फ-अल-औलाद’ के लिए दान में दी है, उस जमीन से होने वाली आमदनी सिर्फ उन परिवारों के पुरुषों को नहीं मिलेगी, बल्कि इसमें महिलाओं का भी हिस्सा होगा. वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ‘ब्यौरा’ ऑनलाइन पोर्टल पर 6 महीने के अंदर अपलोड करना होगा और कुछ मामलों में इस समय अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है.
  • वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए गए सांसद और पूर्व जजों का भी मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा. सरकार का कहना है कि इससे वक्फ में पिछड़े और गरीब मुसलमानों को भी जगह मिलेगी और वक्फ में मुस्लिम महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी. राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम सदस्य ज़रूर होंगे और शिया, सुन्नी और पिछड़े मुसलमानों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा. इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए और ये वो और ये वो समुदाय हैं, जिनकी संख्या बहुत कम है और जो बाकी मुसलमानों से अलग होते हैं क्योंकि ये ना तो दिन में पांच वक्त की नमाज़ पढ़ते हैं और ना ही हज की यात्रा पर जाते हैं
  • वक्फ में दी गई हर जमीन का ऑनलाइन पोर्टल पर डेटाबेस होगा और वक्फ बोर्ड इन सम्पत्तियों के बारे में किसी बात को छिपा नहीं नहीं पाएगा. किस जमीन को किस व्यक्ति ने दान में दिया. वो जमीन उसके पास कहां से आई. वक्फ बोर्ड को उससे कितने पैसे की आमदनी होती है. और उस संपत्ति की की देख-रेख करने वाले ‘मुतव्वली’ को कितनी तनख्वाह मिलती है, ये जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होगी और इससे वक्फ की सम्पत्तियों में पारदर्शिता आएगी और वक्फ को होने वाला नुकसान कम होगा
  • जिन सरकारी संपत्तियों पर वक्फ अपना अधिकार बताता है, उन संपत्तियों को पहले दिन से ही वक्फ की सम्पत्ति नहीं माना जाएगा. अगर ये दावा किया जाता है कि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ की है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार एक नामित अधिकारी से जांच कराएगी और ये कलेक्टर रैंक से ऊपर का अधिकारी होगा. अगर इस रिपोर्ट में वक्फ का दावा गलत निकलता है तो सरकारी सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा Revenue Record में दर्ज किया जाएगा और ये सरकारी संपत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी. ये नियम उन सरकारी संपत्तियों पर भी लागू होगा, जिन पर पहले से वक्फ का दावा और कब्जा है. कोई अन्य सम्पत्ति अन्य सम्पत्ति या जमीन वक्फ की है या नहीं, इसकी जांच कराने के लिए राज्य सरकार को जरूरी अधिकार दिए गए हैं. सबसे बड़ा बदलाव ये आएगा कि वक्फ बिना किसी दस्तावेज और सर्वे के किसी जमीन को अपना बताकर उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा. 
  • दोनों मुस्लिम संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने का भी प्रावधान इस कानून में जोड़ा है. लोगों के पास वक्फ Tribunal के फैसले के 90 दिनों में Revenue कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार होगा, जो मौजूदा कानून में नहीं है. केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह की बेईमानी और भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा. वक्फ बोर्ड सरकार को कोई भी जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता और वक्फ बोर्ड ये भी नहीं कह सकता कि कोई जमीन आज से 200-300 या 500 साल पहले किसी इस्लामिक काम के लिए इस्तेमाल हो रही थी तो वो जमीन उसकी है. ये मनमानी अब इस नए बिल से समाप्त हो जाएगी.


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