धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितृ धरती पर इस उम्मीद से आते हैं कि उनके वंशज उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान करेंगे | मौनी अमावस्या के दिन पितृ और देवी देवता पवित्र गंगा नदी में स्नान करने आते हैं इसलिए ब्रह्म मुहूर्त नदी में स्नान कर दान करने का महत्व हैं, ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैं | इस दिन मध्यान्ह काल में पितृओं को काली तिल और चावल युक्त जल से तर्पण देने से पितर शांत होतें हैं और जीवन में आ रही रोग और शोक सम्बन्धी बाधायें शांत होती हैं। इस दिन वृक्षों का रोपण करने से भी लाभ होता हैं ।



मौनी अमावस्या में क्या हैं मौन का महत्व ?
प्राचीन काल में ऋषि मुनि मौन रहकर तप किया करते थे, मौन रहने से मन स्थिर रहता हैं साथ ही विवाद और झूट बोलने से बचने का उपाय भी हैं मौन रहना, जिनका मन अशांत रहता हैं – उन्हें मौन व्रत करना चाहिए , वेदों में मौन को संयम और ब्रह्मचर्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता हैं इसलिए मौनी अमावस्या के दिन कम से कम स्नान करते समय मौन रहना चाहिए |
इसबार मौनी अमावस्या में किस मुहूर्त में स्नान करना होगा शुभ ?
मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सर्वाधिक श्रेष्ठ माना जाता हैं, सुबह ०५:२५ से लेकर सुबह ०६:१८ मिनट के बीच स्नान करना सबसे शुभ होगा |
ज्योतिषाचार्य डॉ दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार मौनी अमावास्या के दिन यदि आप कुम्भ स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर मे ही प्रात;काल 8 बजे सेपूर्व जल मे थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर और थोड़ी से तुलसी और बेल पात्र दाल कर स्नान करने तो वाही फल प्राप्त होगा जो कुम्भ स्नान से मिलता हैं
ग्रह दोषों के अनुसार पूजन और दान

- यदि आप की कुंडली में गुरु और राहु की युति के कारण नौकरी और विवाह सम्बन्ध समस्याएं हैं तो चनादाल और गुड का दान कर केले के पेड पर दोपहर के समय हल्दी और ईत्र युक्त जल अर्पित करें।
- सूर्य और राहु की युति के कारण पितृ दोष है और रोग से पीडित हैं तो शिवालय मे चावल और हरी सब्जियों का अर्पण कर, शिवजी का शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- शनि मेष राशी में पड कर नीच का हो गया हो, और आलस्य की अधिकता हो या कार्य में मन न लग रहा हो तो पीपल के पेड पर चाँदी के बर्तन से जल अर्पित करें।
- शुक्र और चन्द्र की युति या नीच के शुक्र के कारण खुद का घर न बना पा रहें हों और संतान सम्बन्धी समस्या भी हो तो काले अश्व को दोपहर में आहार दें। शर्बत का वितरण करें।
- काल सर्प दोष से अस्थिरता हो तो आटे का सर्प बना कर दोपहर में जल में बह दें, और स्नान कर के ‘शिव भुजंग प्रयात स्त्रोत्र’ का पाठ करते हुए शिव जी का अभिषेक करें।
- नीच का चन्द्र विवाह में विलम्ब का कारक़ बनाया रहा हो तो चावल और चाँदी का चन्द्रमा शिवालय में रात्रि के समय अर्पित कर दें।
- .मांगलिक दोष होने से विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो रात के समय एक घी और एक तेल का दीपक जला कर ‘दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम’ या दुर्गा जी के बत्तीस नामों का सोलह बार पाठ करें।
अपनी राशी से जाने क्या करें क्या नही ...
- मेष – पूंजी निवेश से बचना चाहिए। उपाय : मिट्टी के पात्र में शहद भरकर मंदिर में रखकर आ जाएं।
- वृषभ – सरकार से लाभ और विघ्न और परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। उपाय : गरीब व गौशाला में ज्वार का दान करें।
- मिथुन – कारोबार में लाभ और विवादों से पीछा छूटेगा। उपाय : उड़द के आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को दें।
- कर्क – पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। उपाय : शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें। भूखों को भोजन कराना लाभदायक रहेगा।
- सिंह – साझेदारी के कार्यों में सावधानी बरतें। उपाय : मां भगवती का श्रृंगार करें और श्री शनिदेव को तेल चढ़ाएं।
- कन्या – मनोनुकूल कार्य परिवर्तन एवं न्यायिक मसलें हल होंगे। उपाय : वट वृक्ष के पेड़ में जल अर्पित करें। काले कपड़े का दान करना शुभ रहेगा।
- तुला – आय के साधनों में वृद्धि होगी, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का निवारण होगा। उपाय : गरीब कन्याओं को दूध और दही का दान दें। साथ ही शनि देव के दर्शन करें
- वृश्चिक – पिछली समस्याओं से पीछा छूटेगा और मित्रों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। उपाय : साथ ही पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। साबूत मसूर सफाई कर्मचारी को दान में दें।
- धनु – प्रयत्न और लाभ अधिक होगा। आय के साधन बढ़ेंगे। उपाय : शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को भोजन कराना लाभकारी रहेगा।
- मकर – व्यवसाय में सफलता, सामाजिक दायरों में वृद्घि का प्रबल योग। उपाय – बाजरा पक्षियों को डालें। श्री शनिदेव को पीले पुष्प चढ़ाएं।
- कुंभ – रुके हुए कार्य बनेंगे। राजनीतिक वर्चस्व बढ़ेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढेगी। उपाय : दूध अपने ऊपर से 8 बार उतार कर उड़द के साथ बहते पानी में प्रवाह कर दें।
- मीन – व्यर्थ के भ्रम, भ्रांति और भय से बाहर आना होगा। धन की प्राप्ति अवश्य होगी। उपाय : सरसों के तेल का दान गरीबों को दें।

मौनी अमावस्या की शाम को पितरों की विदाई के वक़्त मिट्टी के दीये घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर जलना चाहिए
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